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संसद द्वारा कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 (क.रा.बी. अधिनियम) का प्रवर्तन स्वतंत्र भारत में कामगारों के लिए सामाजिक सुरक्षा पर पहला बड़ा विधान था । यह वह समय था जब उद्योग अब तक नवजात अवस्था में था तथा देश विकसित अथवा तेजी से विकासशील देशों से आयातित माल के संग्रह पर बहुत अधिक आश्रित था। विनिर्माण प्रक्रियाओं मे जनशक्ति की तैनाती कुछ चुने हुए उद्योगों जैसे जूट, वस्त्रोद्योग, रसायन आदि तक सीमित थी। देश की अर्थव्यवस्था की अत्यंत कच्ची अवस्था में, हालांकि कामगारों की संख्या सीमित थी तथा भौगोलिक विभाजन था, पूर्णतया बहु-आयामी सामाजिक सुरक्षा प्रणाली के सृजन तथा विकास पर विधान स्पष्टतया सामाजिक आर्थिक उन्नति की ओर उल्लेखनीय कार्य था। भारत ने इसके होते हुए भी इस प्रकार सांविधिक प्रावधानों के माध्यम से कामगार वर्ग को संगठित सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने में अग्रणी भूमिका निभाई।

क.रा.बी. अधिनियम, 1948 में सामान्यतया कामगारों को होने वाली कतिपय स्वास्थ्य संबंधी संभावित घटनाएं शामिल हैं; जैसे बीमारी, प्रसूति, अस्थायी अथवा स्थायी नि:शक्तता, रोजगार चोट के कारण व्यावसायिक बीमारी अथवा मृत्यु जिसके परिणामस्वरूप मजदूरी अथवा अर्जन क्षमता की पूर्ण अथवा आंशिक हानि। ऐसी आकस्मिकताओं में परिणामी शारीरिक अथवा वित्तीय विपत्ति को संतुलित करने अथवा नकारने के लिए अधिनियम में बनाए गए सामाजिक सुरक्षा प्रावधान का लक्ष्य समाज को सामाजिक रूप से उपयोगी तथा उत्पादक जनशक्ति के अवधारण तथा निरंतरता से समर्थ बनाते हुए वंचन, अभाव तथा सामाजिक अवनति से सुरक्षा के माध्यम से संकट के समय मान-मर्यादा कायम रखना है।
 

इतिहास


तत्कालीन प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने 24 फरवरी, 1952 (एसिक दिवस) को योजना का उद्घाटन किया। विजेन्द्र स्वरूप पार्क स्थल पर पंडित जी ने पं. गोविन्द वल्लभ पंत, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश, बाबू जगजीवन राम, केन्द्रीय श्रम मंत्री, राजकुमारी अमृत, केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, श्री चन्द्रभान गुप्त, केन्द्रीय आहार मंत्री और डॉ. सी.एल. कटियाल, क.रा.बी. निगम के पूर्व महानिदेशक की उपस्थिति में 70,000 लोगों के विशाल जन समूह को हिंदी में सम्बोधित किया।

योजना को एक साथ दिल्ली में भी प्रारंभ किया गया और दोनों केन्द्रों के लिए आरम्भिक व्याप्ति 1,20,000 कर्मचारी थी। हमारे प्रथम प्रधान मंत्री योजना के पहले मानद बीमाकृत व्यक्ति थे और घोषणा प्रपत्र पर किए गए उनके हस्ताक्षर निगम की महत्त्वपूर्ण धरोहर हैं ।

यहाँ यह उल्लेख करना भी महत्त्वपूर्ण होगा कि यह योजना 1944 में जब पहली सामाजिक सुरक्षा योजना के रूप मे विकसित हुई तब यहाँ ब्रिटेन की सरकार थी । प्रो. बी.पी. अदारकर, प्रतिष्ठित विद्वान और स्वप्न द्रष्टा के नेतृत्व में त्रिपक्षीय श्रम सम्मेलन में सामाजिक बीमा पर प्रथम दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे । रिपोर्ट का भारत में सामाजिक सुरक्षा योजना के एक सुयोग्य दस्तावेज और अग्रदूत के रूप में स्वागत किया गया और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने प्रो. अदारकर को छोटा बेवरिज के रूप में अभिस्वीकृत किया । सभी जानते हैं कि सर विलियम बोविरिज सामाजिक बीमा के उच्च पुरोहितों में से एक हैं । रिपोर्ट को स्वीकार किया गया और प्रो. अदारकर 1946 तक सक्रिय सहयोगी बने रहे । अपने वियोजन के समय उन्होंने आई.एल.ओ. के विशेषज्ञों द्वारा योजना का प्रबन्ध कराने की पुरजोर वकालत की । 1948 में लंदन में एक विख्यात भारतीय डॉक्टर डॉ. सी.एल. कटियाल ने क.रा.बी. निगम के प्रथम महानिदेशक का कार्यभार संभाला और वे 1953 तक योजना को कुशलता से चलाते रहे ।

भारत में सामाजिक सुरक्षा के कालवृत में 24 फरवरी एक महत्त्वपूर्ण दिन है इसके बाद फिर योजना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा । क.रा.बी. निगम का प्रतीक चिह्न "प्रज्ज्वलित दीप" इस योजना की भावना का सच्चा प्रतीक है जो भौतिक तथा वित्तीय दोनों प्रकार से निराशा को आशा में बदलकर और विपत्ति के समय सहायता प्रदान करके कामगारों के असंख्य परिवारों के जीवन में रोशनी लाता है ।

अपने अस्तित्व के 68 वर्ष के दौरान क.रा.बी. निगम निरन्तर सशक्त होता रहा है । इसके लिए प्रो. अदारकर तथा डॉ. कटियाल जैसे व्यक्तियों की प्रतिबद्धता, समर्पण तथा दृढ़ता का ऋणी है ।