Employee's State Insurance Corporation, Ministry of Labour & Employment, Government of India – ESIC Scheme |Wages - ईएसआईसी
मजदूरी
धुलाई भत्ता
यह राशि रोजगार की प्रकृति से जुड़े आवश्यक विशिष्ट खर्चों का भुगतान है तथा इस प्रकार यह राशि मजदूरी के बराबर नहीं है |
ज्ञापन सं. बीमा III/2/1/65, दिनांक 8.2.1967 द्वारा जारी किए गए पुराने अनुदेशों के बदले में)
निलंबन भत्ता/निर्वाह भत्ता
निलंबन अवधि के दौरान कर्मचारी को वास्तविक रूप से कार्य करने की अनुमति नहीं होती तथा उसे पूर्ण पारिश्रमिक नहीं दिया जाता परन्तु उसकी सेवा की संविदा को नियंत्र्ित करने वाले संगत सेवा विनियमों के अनुसार नियोक्ता की सेवा से जुड़े रहने के कारण कर्मचारी को पारिश्रमिक के माध्यम से अनुमेय निर्वाह भत्ते का भुगतान किया जाता है | अत: निर्वाह भत्ता मजदूरी का एक भाग है जैसा कि क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत परिभाषित हैं तथा परिणामस्वरूप निलंबित कर्मचारी को भुगतान किए गए निर्वाह भत्ते की राशि पर अंशदान देय है |
उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 1993 की सिविल अपील सं. 3850 में क्षेत्र्ीय निदेशक, क.रा.बी. निगम बनाम मैसर्स पॉपुलर ऑटोमोबाइल आदि के मामले में दिनांक 29.09.97 के अपने निर्णय में भी यह कहा कि 'निलंबन/निर्वाह भत्ता मजदूरी है तथा उक्त राशि पर धारा 2(22) के अंतर्गत अंशदान देय है' |
(ज्ञापन सं. 3(2)-1/67, दिनांक 3.6.67 तथा पत्र् सं. बीमा III(2)-2/71, दिनांक 10.8.1971 के द्वारा जारी किए गए पूर्व अनुदेशों के बदले में)
समयोपरि भत्ता
जब कभी भी नियोजक को कार्य शीघ्रता से कराए जाने की आवश्यकता महसूस होती है तो कार्य अवधि के दौरान सामान्य कार्य के अतिरिक्त नियोक्ता कर्मचारी को कार्य अवधि के उपरांत समयोपरि कार्य करने का प्रस्ताव देता है | जब कर्मचारी समयोपरि कार्य करता है तो यह इसके लिए उसकी स्वीकृति है, अत: यहाँ पर कर्मचारी और नियोजक के बीच एक निर्णीत संविदा निहित रहती है | दोनों, कार्य अवधि के दौरान प्राप्त पारिश्रमिक तथा समयोपरि भत्ता मिलकर एक संयुक्त मजदूरी बनाते हैं तथा इस प्रकार क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अर्थ के अंतर्गत यह मजदूरी है | अत: समयोपरि भत्ते पर अंशदान देय है | हालांकि समयोपरि भत्ता केवल अंशदान की राशि के लिए मजदूरी माना जाता है तथा योजना के अंतर्गत कर्मचारी की व्याप्ति के प्रयोजन के लिए नहीं माना जाएगा |
यही मत उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 1980 की सिविल अपील सं. 2777 में इंडियन ड्रग्स एवं फार्मासिटिकल्स लि. बनाम क.रा.बी. निगम के मामले में दिनांक 6.11.96 को दिए गए अपने निर्णय में दिया गया |
(ज्ञापन सं. 3-1(2)/3(2)/3(1)/68, दिनांक 31.5.68 द्वारा जारी किए गए पुराने अनुदेश)
वार्षिक बोनस :
धारा 2(22) के अंतर्गत अंशदान निकालने के प्रयोजन हेतु कर्मचारी को भुगतान किए गए बोनस को मजदूरी नहीं माना जाएगा, बशर्ते भुगतान की अवधि 2 माह से अधिक हो | इसी मामले पर क.रा.बी. निगम की दिनांक 19.12.1968 को संपन्न हुई बैठक में भी विचार किया गया तथा स्थायी समिति द्वारा की गई अनुशंसा से निगम ने सहमति जताई कि बोनस को मजदूरी नहीं माना जाएगा | अत: वार्षिक बोनस पर अंशदान देय नहीं है |
(ज्ञापन सं. बीमा III/2(2)-2/67, दिनांक 8.2.1967 द्वारा पूर्व अनुदेश जारी किए गए)
प्रोत्साहन बोनस :
वर्ष 2000 की सिविल अपील सं. 1903 में मैसर्स व्हर्लपूल इंडिया लि. बनाम क.रा.बी. निगम के मामले में दिनांक 8.3.2000 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार मजदूरी बनने हेतु अतिरिक्त पारिश्रमिक का भुगतान अंतराल पर करना चाहिए जो कि दो माह से अधिक न हो क्योंकि यह देय राशि से भिन्न है |
अत: वास्तविक भुगतान होना चाहिए तथा अधिनियम की धारा 2(2) के अंतर्गत की गई परिभाषा के अनुसार उत्पादन प्रोत्साहन 'मजदूरी' शब्द की परिभाषा के न तो पहले भाग और न ही अंतिम भाग में आता है | इस प्रकार प्रोत्साहन बोनस पर कोई भी अंशदान देय नहीं है, बशर्ते भुगतान की अवधि 2 माह से अधिक हो |
(पूर्व अनुदेश इस कार्यालय के ज्ञापन सं. टी-11/13/53/19-84-बीमा IV, दिनांक 19.9.84, ज्ञापन सं. बीमा III-2(2)/2/69, दिनांक 26.12.73, ज्ञापन सं. टी-11/13/54/18/82-बीमा IV, दिनांक 14.7.82 तथा ज्ञापन सं. डी/बीमा 5(5)/68, दिनांक 18.9.88 के द्वारा जारी किए गए)
उत्पादन बोनस :
प्रोत्साहन बोनस की तरह उत्पादन बोनस का भुगतान कामगार को अतिरिक्त पारिश्रमिक की तरह किया जाता है | अत: प्रोत्साहन बोनस की तरह ऐसे अतिरिक्त पारिश्रमिक को मजदूरी बनने हेतु अंतराल पर भुगतान किया जाना चाहिए जिसकी अवधि 2 माह सेअधिक न हो चूंकि यह भुगतान करने योग्य राशि से भिन्न है | इस प्रकार वास्तविक भुगतान होना चाहिए तथा इस प्रकार कोई भी अंशदान देय नहीं है, बशर्ते भुगतान की अवधि 2 माह से अधिक हो |
(पत्र् सं. 4(2)/13/74-बीमा IV, दिनांक 2.9.85 द्वारा पूर्व अनुदेश जारी किए गए)
इनाम/अनुग्रही अदायगी
इनाम नियोक्ता द्वारा कर्मचारी को उसके द्वारा दी गई इन सेवाओं के उपलक्ष्य में दिए गए पुरस्कार का द्योतक है जिनके लिए वह सेवा की संविदा के अंतर्गत बाध्य नहीं था जो कि उसमें अभिव्यक्त का निहित है परंतु इसमें वह भुगतान शामिल नहीं है जो कि कर्मचारी को सेवा की संविदा की पूर्ति करने पर दिया जाता है | इसमें अनुग्रही अदायगी शामिल है |
जिन मामलों में इनाम का भुगतान विशिष्ट कौशल या उच्चतर दायित्वों/अतिरिक्त कार्यों के लिए किया जा रहा है, वहां इसे पारिश्रमिक माना जाए तथा उस पर अंशदान देय है |
जिन मामलों में नियोक्ता ने इनाम की योजना का प्रारंभ किया है परंतु निबंधन और शर्तों के अनुसार नियोक्ता को इसे वापस लेने या परिशोधित करने का कोई अधिकार नहीं है, तथा इसे मजदूरी माना जाए और अंशदान देय है |
जिन मामलों में नियोक्ता ने इनाम की योजना का प्रारंभ किया है तथा अपने विवेकानुसार उन्हें इसे परिशोधित करने या वापस लेने का अधिकार है, वहां पर ऐसी योजना के अंतर्गत इनाम के भुगतान को मजदूरी न माना जाए तथा अंशदान देय नहीं है बशर्ते भुगतान 2 माह से अधिक अवधि के अंतराल पर किया जाए | जिन मामलों में इनाम की योजना लिखित में नहीं है परंतु फिर भी पक्षों के बीच कुछ आपसी समझ के आधार पर नियोक्ता इनाम शीर्ष के अंतर्गत भुगतान कर रहा है, तो ऐसे मामलों में भुगतान की प्रकृति तथा उसकी अवधि ज्ञात की जाए तथा भुगतान की गई इनाम की राशि अनुग्रही अदायगी है या नहीं जो कि सेवा की संविदा द्वारा व्याप्त नहीं है | जिन मामलों में अवधि 2 माह से अधिक है, कोई अंशदान नहीं लिया जाए |
(पिछले अनुदेश पत्र् सं. डी-बीमा 5(5)/68 दिनांक 21.2.1975 द्वारा जारी किए गए)
कामबंदी के दौरान भुगतान की गई मजदूरी :
कामबंदी की अवधि के दौरान हालांकि कर्मचारी को वास्तविक कार्य नहीं दिया जाता है तथा पूरा पारिश्रमिक भी नहीं दिया जाता है परंतु नियोक्ता के कारखाने/स्थापना से जुड़े रहने के लिए पारिश्रमिक के माध्यम से कर्मचारी को कुछ मजदूरियों का भुगतान किया जाता है | अत: कामबंदी की अवधि के दौरान किए गए ऐसे भुगतान भी क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी है तथा ऐसे भुगतानों पर अंशदान देय है |
(पूर्व अनुदेश सन्र 1980 में जारी किए गए)
वार्षिक कमीशन :
बिक्री कमीशन मजदूरी की तीसरी श्रेणी के अंतर्गत आती है जो कि अधिनियम के अंतर्गत अतिरिक्त पारिश्रमिक के रूप में परिभाषित है तथा वास्तविक भुगतान होना चाहिए क्योंकि प्रयोग किया गया शब्द 'भुगतान' है न कि 'देय' है, जो कि 2 माह से अनाधिक अंतराल पर है | यह प्रश्न कि 2 माह का समय क्यों नियत किया गया, इस पर वर्ष 1999 की सिविल अपील सं. 2521 में उच्चतम न्यायालय में हैंडलूम हाउस, एरनाकुलम बनाम क्षेत्र्ीय निदेशक, क.रा.बी. निगम के मामले में विचार विमर्श किया गया तथा यह कहा गया कि किसी भी नियोक्ता को इस आधार पर अंशदान का भुगतान आहरित करने की अनुमति नहीं होगी कि वार्षिक भुगतानों का अभी हिसाब लगाया जाना है| सामान्यत:, मजदूरी की अवधि एक माह है, परंतु संसद में यह सोचा गया होगा कि ऐसी 'मजदूरी की अवधि' को थोड़ा और बढ़ाया जा सकता है परंतु कोई भी नियोक्ता इसे दो माह से अधिक नहीं बढ़ा सकता | दो माह की अवधि को अतिरिक्त पारिश्रमिक का हिसाब लगाने हेतु अधिकतम अवधि निर्धारित करने का कारण यह होगा कि इसे अधिनियम के अंतर्गत 'मजदूरी' का भाग बनाया जाए | अत: वार्षिक कमीशन को मजदूरी की परिभाषा के अंतर्गत शामिल नहीं किया गया है तथा इसलिए वार्षिक कमीशन पर अंशदान देय नहीं है |
(पूर्व अनुदेश मुख्यालय के पत्र् सं. बीमा III (2)-2/71, दिनांक 10.8.71 द्वारा जारी किए गए)
मकान किराया भत्ता
मकान किराया भत्ता उन मामलों में मजदूरी है जिन मामलों में इसका भुगतान किया जा रहा है | व्याप्ति का निर्णय करने हेतु मकान किराया भत्ते की कल्पित राशि को मजदूरी के रूप में प्रकल्पित नहीं किया जा सकता | जिन मामलों में किसी कर्मचारी को मकान किराया भत्ते का भुगतान किया जा रहा है, तो उसे दोनों, व्याप्ति और अंशदान हेतु शामिल किया जाएगा | जिन मामलों में कर्मचारी आवासों का आबंटन किया गया है, वहाँ वेतन की राशि तथा भुगतान की गई मजदूरी को व्याप्ति और अंशदान के लिए शामिल किया जाएगा तथा ऐसे मामलों में कोई भी कल्पित मकान किराया भत्ता प्रकल्पित नहीं किया जाता है |
ब्रैथावेट एंड कंपनी बनाम क.रा.बी. निगम तथा मैसर्स पॉलीफाइबर्स बनाम क.रा.बी. निगम, बंगलौर के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह कहा कि मकान किराया भत्ता क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(2) के अंतर्गत 'मजदूरी' है |
(पूर्व अनुदेश ज्ञापन सं. टी-11/13/11/15-बीमा III , दिनांक 28.9.75, सं. बीमा III (2)/15/15/74-बीमा डेस्क I, दिनांक दिसम्बर 76, सं. टी-11/13/53/19-84/बीमा IV, दिनांक 19.9.84 तथा सं. डी बीमा /11/3087/303, दिनांक 1.3.1985)
रात्र्ि पाली/ताप/गैस एवं धूल भत्ता :
यह अंधेरे के दौरान रात के समय ड्रयूटी करने के लिए कर्मचारी को भुगतान किए जाने वाला अतिरिक्त पारिश्रमिक है | यह कामगार और उसके प्रबंधन के मध्य निपटान की योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन के माध्यम से भुगतान की गई राशि है तथा इस प्रकार क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अर्थ के अंतर्गत 'मजदूरी' है | एन जी ई एफ लि. बनाम उप क्षेत्र्ीय निदेशक, क.रा.बी. निगम, बंगलौर के मामले में कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण न्यायपीठ द्वारा इस मत पर विचार किया गया | मैसर्स हरिहर पॉलिफाइबर्स बनाम क्षेत्र्ीय निदेशक, क.रा.बी. निगम, बंगलौर के मामले में उच्चतम न्यायालय ने भी यही मत रखा | अत: रात की पाली का भत्ता, ताप, गैस एवं धूल भत्ता क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरियां हैं तथा नियोक्ता द्वारा कर्मचारियों को भुगतान की गई उक्त राशि पर अंशदान देय है |
(पूर्व अनुदेश ज्ञापन सं. टी-11/13/53/19/84-बीमा IV, दिनांक 19.9.94 द्वारा जारी किए गए)
वाहन भत्ता
मजदूरी निपटान से निकलने वाला या रोजगार की निबंधन और शर्तों के अनुसार नियत वाहन भत्ता धारा 2(22) के अंतर्गत सभी प्रयोजनों के लिए मजदूरी माना जाए चाहिए, सिवाय :-
- किसी कर्मचारी को विशिष्ट ड्रयूटी संबंधित यात्र हेतु खर्चों के वहन के लिए वाहन भत्ते के संबंध में भुगतान या प्रतिपूर्ति की गई राशि |
- टिकट या मियादी टिकट प्रस्तुत करने पर कार्य पर जाने और कार्य से वापस आने के लिए वाहन के वास्तविक खर्चे की प्रतिपूर्ति तथा वास्तविक खर्चे के प्रमाण की शर्त के अधीन |
- वाहन के अनुरक्षण हेतु कुछ राशि का भुगतान जो कि पदधारी के संवर्ग एवं वाहन की श्रेणी पर निर्भर करता है तथा जो वाहन के वास्तविक अनुरक्षण हेतु रिकॉर्डों को प्रस्तुत करने की शर्त के अधीन है |
- 2 माह से अधिक के अंतराल पर भुगतान किया गया नियत भत्ता, जब तक कि इस प्रकार का भुगतान संविदा या समझौते के अनुसार किया गया हो |
सेवा प्रभार
सीधे टिप के बदले में होटल प्रबन्धन द्वारा उसके कर्मचारियों की ओर से सेवा प्रभार लिया जाता है तथा लिए गए उसी प्रभार का उसके कर्मचारियों को बाद में भुगतान कर दिया जाता है |
इस प्रकार से एकत्र्ित किया गया 'सेवा प्रभार' क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी नहीं बनेगा | क.रा.बी. निगम बनाम मैसर्स रामबाग पैलेस होटल, जयपुर के मामले में जयपुर के उच्च न्यायालय ने कहा कि 'सेवा प्रभार' क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी नहीं है | जयपुर के उच्च न्यायालय का यह अधिमत क.रा.बी. निगम में स्वीकृत किया गया तथा इस प्रकार 'सेवा प्रभार' पर कोई भी अंशदान देय नहीं है |
(पूर्व अनुदेश पत्र् सं. पी-12/11/4/79-बीमा डेस्क I, दिनांक 18.9.79 के द्वारा जारी किए गए)
चिकित्सा भत्ता
कारखानों/स्थापनाओं में कार्यरत कर्मचारियों को नियोक्ता द्वारा चिकित्सा सेवाएं दवा, वस्तुओं आदि के रूप में दी जा रही हैं परंतु कुछ कारखानों/स्थापनाओं में चिकित्सा सेवाएं दवा, वस्तुओं आदि के रूप में देने के बजाय चिकित्सा देखरेख पर कर्मचारी द्वारा व्यय की गई राशि की प्रतिपूर्ति की जाती है जबकि अन्य संगठनों में चिकित्सा सहाय्रय/चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के बदले में कर्मचारियों को मासिक नकद चिकित्सा व्यय की प्रतिपूर्ति के बदले में कर्मचारियों को मासिक नकद भत्ता अदा किया जाता है | जहाँ पर ऐसे भुगतान नियोक्ता द्वारा चिकित्सा हितलाभ के स्थान पर किए जाते हैं, तो इन्हें क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी माना जाए और अंशदान लिया जाता है |
(पूर्व अनुदेश पत्र् सं. बीमा-5(5)/68-बीमा-3, दिनांक 21.08.71 और बीमा-3/2(2)2/68, दिनांक 24.06.71 द्वारा जारी)
समाचार पत्र् भत्ता :
कुछ कारखानों/स्थापनों में कर्मचारियों को समाचार पत्र् पर खर्च की प्रतिपूर्ति की जाती है जबकि कुछ अन्य कारखानों/स्थापनों में कर्मचारियों को समाचार पत्र् पर खर्च की प्रतिपूर्ति के स्थान पर मासिक समाचार पत्र् भत्त्ो का भुगतान किया जाता है | यदि नियोजक द्वारा कर्मचारियों को नियमित रूप से समाचार पत्र् भत्त्ो का भुगतान किया जा रहा है तो इसे क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी माना जाएगा और अंशदान वसूला जाएगा | तथापि यदि कर्मचारियांे को समाचार पत्र् पर व्यय की प्रतिपूर्ति की जाती है तो ऐसे भुगतान पर कोई अंशदान नहीं वसूला जाएगा |
शिक्षण भत्ता :
कर्मचारियों को स्कूल/कालेज में पढ़ने वाले बच्चों के लिए मासिक शिक्षण भत्त्ो का भुगतान किया जाता है | यदि ऐसा शिक्षण भत्ता मासिक आधार पर भुगतान किया जा रहा है तो इसे क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी माना जाएगा और उक्त राशि पर अंशदान की वसूली की जाएगी |
तथापि, जिन मामलों में शिक्षण भत्त्ो का भुगतान मासिक आधार पर न करके कर्मचारियों को शुल्क के रूप में व्यय की गई राशि की प्रतिपूर्ति की जाती है और शिक्षण भत्त्ो के रूप में दर्ज की जाती है तो ऐसे मामलों में कोई अंशदान संदेय नहीं है |
ड्राइवरभत्ता :
कुछ कारखानों/स्थापनाओं में कर्मचारियों के तौर पर नियोजित अधिकारियों को प्रतिमाह ड्राइवर
भत्त्ो का भुगतान किया जा रहा है | भत्त्ो का भुगतान इसलिए किया जा रहा है कि अधिकारी अपने स्तर पर डन्नइवर की नियुक्ति कर सकें और इस प्रकार नियोजित डन्नइवरों को कारखानों/स्थापनाओं द्वारा सीध्ो वेतन का भुगतान नहीं किया जा रहा है | यदि कर्मचारियों को ऐसे भत्त्ो का भुगतान किया जा रहा है और कर्मचारियों द्वारा डन्नइवर नहीं लगाया गया है तो ऐसी स्थिति में इस प्रकार संदत्त भत्त्ो को क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी माना जाएगा और अंशदान की वसूली की जाएगी बर्शत्ो कर्मचारी योजना के अंतर्गत व्याप्ति योग्य हो |
तथापि, यदि डन्नइवरो की सेवाएं ली जा रही हैं तो ऐसी स्थिति में इस प्रकार लगाए गए डन्नइवरों को कर्मचारी के तौर पर व्याप्त किया जाएगा और डन्नइवरों को वेतन के रूप में संदत्त राशि पर अंशदान संदेय होगा तथा नियोजक की खाता बही में इसे 'डन्नइवर भत्ता' शीर्ष के अंतर्गत दर्ज किया जाएगा |
भोजन/दूध/अल्पाहार/लंच भत्ता :
भोजन/दूध/अल्पाहार और लंच भत्त्ो के प्रत्येक मामले की निम्नलिखित शर्तो, जिनके अंतर्गत भत्ता संदेय है, के अनुसार इसके गुण -दोष आधार पर समीक्षा की जानी है:-
- निर्धारित दर पर नकद रूप में संदत्त अल्पहार/भोजन/दूध/लंच भत्ता इस बात की परवाह किये बिना कि व्यक्ति अनुपस्थित है अथवा अधिकृत छुट्टी यादि पर है,मजदूरी माना जाएगा |
- छुट्रटी या अनुपस्थिति आदि की कटौती सहित टिफिन/भोजन/दूध/दोपहर के भोजन के भत्ते का नकद रूप में किया गया भुगतान मजदूरी नहीं माना जाएगा |
- किस्म अर्थात्र कैंटीन इमदाद/भोजन इमदाद आदि के रूप में संदत्त टिफिन/ भोजन/दूध/लंच भत्ता मजदूरी न माना जाए |
(पूर्व अनुदेश पत्र् संख्या पी-11/13/97-बीमा-4 दिनांक 2.02.99 द्वारा जारी किए गए|
राजपत्र्ित भत्ता :
कुछ कारखाने/स्थापनाएं अपने कर्मचारियों को राजपत्र्ित अवकाशों के दौरान ड्यूटी करने के एवज में राजपत्र्ित भत्त्ो का भुगतान कर रहे हैं | ऐसा राजपत्र्ित भत्ता क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(9) के प्रयोजन के लिए मजदूरी नहीं है | तथापि, यह क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के प्रयोजन के लिए मजदूरी होगा और ऐसे भुगतानों पर अंशदान की वसूली की जाएगी |
अप्रतिस्थापित अवकाशों के लिए मजदूरी और महंगाई भत्ता :
कर्मचारियों को अप्रतिस्थापित अवकाशों के लिए संदत्त मजदूरी और महंगाई भत्त्ो को क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी माना जाना है और अंशदान संदेय हैं | क.रा.बी. निगम बनाम न्यू आसारो मैन्युफैक्चरिंग कंपनी लि. के मामले में गुजरात उच्च न्यायालय ने भी यही निर्णय दिया था |
हड़ताल के दौरान यात्र व्यय के लिए अनुग्रह अदायगी :
यदि कुछ कर्मचारियों को हड़ताल की अवधि के दौरान कोई यात्र व्यय करने के लिए परिवहन भत्त्ो की भांति कोई अनुग्रह अदायगी की जाती है तो ऐसी राशि को न तो क.रा.बी.अधिनियम की धारा 2(9) के अंतर्गत मजदूरी माना जाएगा और नहीं धारा 2 (22) के अंतर्गत और ऐसी राशि पर कोई अंशदान संदेय नहीं है | बम्बई उच्च न्यायालय ने 1976 के मामला संख्या 210 क.रा.बी. निगम बनाम विलमेन(इंडिया) (प्रा) लि. के मामले में यही व्यवस्था दी थी |
अंतरिम राहत :
अंतरिम राहत का भुगतान सामान्यत: तभी किया जाता है या तो जब मजदूरी संशोधनाधीन हो अथवा किसी कारणवश महंगाई भत्त्ो के भुगतान में विलंब हो | जो भी मामला हो, यदि किसी नियोजक द्वारा कर्मचारियों को अंतरिम राहत का भुगतान किया जाता है तो यह क.रा.बी. अधिनियम की धारा 2(22) के अर्थ में मजदूरी होगी और उस पर अंशदान संदेय होगा |
बचत योजना :
कुछ कारखाने/स्थापनाएं कामगारों के कल्याण के लिए बचत योजनाओं के लिए अंशदान कर रहे हैं| नियोजक द्वारा बचत योजना में दिया गया उसका अंशदान क.रा.बी.अधिनियम की धारा 2 (22) के अंतर्गत मजदूरी नहीं होगा और अंशदान संदेय नहीं होगा |
( पूर्व अनुदेश ज्ञापन संख्या पी-12/11/4/77-बीमा -4 दिनांक 15.11.80 द्वारा जारी किए गए थ्ो |
उपस्थिति बोनस :
यह कुछ नियोजकों द्वारा अपने कामगारों की कार्य से अनुपस्थिति को हतोत्साहित करने के लिए संदत्त किया जा रहा विश्ोष भत्ता है | नियोजक द्वारा अपने कर्मचारियों को उपस्थिति बोनस के रूप में संदत्त कोई भी राशि मजदूरी होगी और क.रा.बी.निगम बनाम इंडिया डाईस्टाफ इंडस्टन्न्ीज लि. के मामले में बम्बई उच्च न्यायालय द्वारा भी यही मत व्यक्त किया गया था | तथापि, आवधिकता पहलू को ध्यान में रखा जाना है | यदि आवधिकता दो माह से अधिक है तो यह मजदूरी नहीं होगी और प्रोत्साहन बोनस की तरह कोई अंशदान संदेय नहीं होगा |
रिक्शाचालकों, हाथरेहड़ी चालकों और टन्न्क मालिकों को भुगतान(लदान एवं उतराई प्रभार सहित जब लादने और उतारने वाले टन्न्क मालिकों के कर्मचारी हों):
रिक्शाचालकों, हाथरेहड़ी चालकों और टन्न्क मालिकों (जो अपने साथ श्रमिक लाएं ) को नियोजक द्वारा संदत्त राशि पर कोई अंशदान संदेय नहीं है यदि, लदान/उतराई शुल्क सहित राशि एक-मुश्त अदा की गई है और नियोजक द्वारा अलग से कोई मजदूरी नहीं दी गई है | यही मत बॉम्बे प्रभाग न्यायपीठ ने सन्र 1990 में रायसाहेब टेकचन्द, मोहाते मिल्स बनाम क्षेत्र्ीय निदेश्|क, क.रा.बी.निगम के मामले में अभिनिर्धारित किया |
किसी समय विश्ोष पर नियोजित हमाली/कुली :
यदि कारखाने/स्थापन परिसर के बाहर कोई विश्ोष जॉब करने के लिए तत्काल किसी विश्ोष स्थान और विश्ोष समय पर हमाल नियोजित किए जात्ो हैं तो ऐसे मामलों में ऐसे कुलियों/हमालों को संदत्त राशि पर कोई अंशदान संदेय नहीं है, तथापि, नियोजक के परिसर के अंदर की गई सेवा के लिए कुलियों और हमालों को संदत्त राशि पर अंशदान संदेय है |
पालें बॉटलिंग कंपनी लि.बनाम क.रा.बी.निगम बंबई,1989 के मामले में बंबई उच्च न्यायालय और क.रा.बी.निगम बनाम प्रीमियर क्ले प्रॉडक्ट्रस के मामले में उच्चतम न्यायालय ने यही विचार व्यक्त किया था |
सेवा का अल्पकालिक संविदा-इलैक्टन्न्ीशियन, बढ़ई, मैकनिक, नलसाज आदि/दुकान पर किया गया मरम्मत कार्य:
ऐसे मामलों में भी नियोजक द्वारा संदत्त राशि पर अंशदान संदेय है यदि सेवाएं परिसर के अंदर दी जाती हैं | 1989 की सिविल अपील संख्या 3218 में मॉडर्न इक्विपमेंट बनाम क.रा.बी.निगम के मामले में दिनांक 29.03.84 के निर्णय में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में भी यही मत व्यक्त किया था |
मशीनों की सार्विसिंग पर व्यय :
मशीनों की सर्विसिंग पर कोई अंशदान संदेय नहीं है यदि यह कार्य सेवा संविदा के बजाए अभियंता को दिया गया हो, मशीनों की सर्विसिंग हेतु सेवा संविदा है |
वार्षिक/आवधिक सर्विस ठेके पर व्यय :
कारखानों/स्थापनाओं पर नियोजकों द्वारा मशीनों के आपूर्तिकर्ता को कुछ राशि का भुगतान किया जा रहा है अथवा विख्यात फर्मों को मशीनों की वार्षिक/आवधिक सर्विसिंग और ऐसे प्रयोजनों के लिए ठेका दिया जा रहा है | ऐसे मामलों में वार्षिक/आवधिक सर्विस ठेकों के लिए संदत्त राशि पर कोई अंशदान संदेय नहीं है |
डीलरों/एज्ोटों को कमीशन:
यदि नियोजकों द्वारा डीलरों और एज्ोटों को नियुक्त किया जाता है लेकिन कोई नियमित मजदूरी नहीं दी जाती और ऐसे डीलरों/एज्ोटों के लिए कारखानों/स्थापनों में उपस्थित होना बाध्यता नहीं है और उन्हें विक्रय की मात्र के अनुसार कमीशन दिया जाता है तो ऐसे मामलों में नियोजक द्वारा कमीशन/डीलरशिप के लिए संदत्त राशि क.रा.बी.अधिनियम की धारा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी नहीं है और इस प्रकार कोई अंशदान संदेय नहीं है
सर्विस ठेका:
मशीनरी/उपस्कर के अनुरक्षण के लिए किसी संगठन द्वारा सर्विस ठेके के भाग के रूप में संदत्त राशि पर क.रा.बी.अंशदान नहीं देना होगा |
श्रम परामर्शदाता, वकीलों,अभियंताओं, अधिवक्ताओं और चार्टर्ड लेखाकारों को किया गया भुगतान :
व्यावसायिक श्रम अथवा कर परामर्शदाताओं, वकीलों, अभियंताओं, अधिवक्ताओं, चार्टर्ड लेखाकारों को नियोजकों द्वारा संदत्त राशि क.रा.बी.अधिनियम की धारा 2(22) के प्रावधानों के अंतर्गत मजदूरी नहीं है और इस प्रकार कोई अंशदान संदेय नहीं है |
क.रा.बी.अधिनिय की धारा 2(9)अर्थात कर्मचारी के व्याप्ति के प्रयोजन पर विचार एवं अंशदान की वसूली के प्रयोजन के लिए धारा 2(22) के अंतर्गत निम्नलिखित मदें मजदूरी का भाग नहीं होंगे :-
- सिनोमाघरों में कर्मचारियों को संदत्त किया जा रहा है अपराह्रन ख्ोल भत्ता.
- विषम पालियों में शिफ्ट ड्यूटी पर कार्य करने वाले कर्मचारियों को संदत्त पॉली भत्ता.
- उच्च मकान किराए पर व्यय को वहन करने के लिए महंगाई भत्त्ो के अतिरिक्त संदत्त स्थल भत्ता.
- प्रतिपूरक भत्ता
- खजांचियों को संदत्त नकदी हैंडलिंग भत्ता
- पर्यवेक्षीय भत्ता.
- प्रशिक्षण स्टाफ को संदत्त अतिरिक्त वेतन.
- चार्ज भत्ता.
- आशुलिपि/टंकण भत्ता.
- संयंत्र् भत्ता
- अस्पताल/औषधालयों की देखभाल के लिए मानदेय.
- कम्प्यूटर भत्ता
- गैस्टेटनर/फोटो कापियर/प्रिंटर भत्ता.
- कार्मिक/विश्ोष भत्ता.
- मशीन भत्ता
- कन्वैसिंंग भत्ता
- प्राथमिक चिकित्सा भत्ता
- कार्मिक भत्ता
- दक्षता, कार्यक्षमता अथवा पुराने अच्छे रिकार्ड के लिए मूल वेतन और महंगाई भत्त्ो के अलावा वेतन.
- क्ष्ोत्र् भत्ता- किसी क्ष्ोत्र् विश्ोष में उच्च जीवन निर्वाह व्यय को वहन करने के लिए कर्मचारियों को दिया जाने वाला.
- अनुग्रह अदायगी यदि यह अदायगी दो माह के अंतराल के अंदर की जाती है |
निम्नलिखित मदें क.रा.बी.अधिनियम 2(9) अथवा 2(22) के अंतर्गत मजदूरी का भाग नहीं होंगी :-
- कार्यमुक्ति के समय उपयोग न की गई छुट्टी के लिए किया गया भुगतान |
- समाचार पत्र् के लिए विज्ञापन प्राप्त करने पर कमीशन यदि नियमित कर्मचारी को नहीं दिया जाता |
- ईध्|न भ्|त्ता/पेट्रोल भ्|त्ता |
- मनोरंजन भत्ता |
- जूता भत्ता |
- कार्यमुक्ति/सेवानिवृत्त पर उपदान मद में किया गया भुगतान |
- छुट्रटी नकदीकरण पर भुगतान |